Spermatozoons, floating to ovule

आईवीएफ अब हर आय वर्ग के दम्पती के बजट में , अफोर्डेबल है आईवीएफ ट्रीटमेंट

समय के साथ दम्पतियों के परिवार पूरा करने की प्राथमिकताएं बदलती जा रही हैं । पहले शादी के दो या तीन साल में दम्पती फैमिली प्लानिंग कर लेते थे लेकिन आजकल हर कपल परिवार को पूरा करने से पहले करियर में या बिजनेस में ऊंचाईयां छुना चाहता है। भागती दौड़ती जीवनशैली और काम के दबाव में दम्पती की संतान प्राप्ति की उम्र धीरे-धीरे निकलती जाती है जिससे बाद में उन्हें संतान प्राप्ति में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे दम्पती जो किसी कारण से प्राकृतिक गर्भधारण में विफल हो रहे हैं उनके लिए आईवीएफ तकनीक संतान प्राप्ति का आसान जरिया बनकर सामने आयी है। पूरी दुनिया में 80 लाख से ज्यादा निःसंतान दम्पती आईवीएफ से संतान सुख प्राप्त कर चुके हैं। कुछ वर्ष पहले आईवीएफ को उपचार महंगी तकनीक माना जाता था, इस कारण दम्पती उपचार करवाने से पीछे हट जाते थे लेकिन समय के साथ इसकी लागत में काफी कमी आ गयी है ।

जानकारी की कमी के कारण ज्यादातर दम्पतियों को यह लगता है कि आईवीएफ यानि टेस्ट ट्यूब उपचार आज भी काफी खर्चीला है, इसके लिए आर्थिक तैयारी की आवश्यकता होती है और ये आर्थिक रूप से सक्षम दम्पतियों के लिए है लेकिन सच ये है कि समय के साथ हो रहे तकनीकी विकास से आईवीएफ की सफलता तो बढ़ी है साथ ही इसके खर्चे में भी काफी कमी आयी है। अब हर आय वर्ग के दम्पती आईवीएफ इलाज़ अपना कर संतान प्राप्ति की राह को सरल बना सकते हैं।

आईये समझते हैं आईवीएफ उपचार से जुड़े खर्चे के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य – कई दम्पती ऐसे हैं जो आईवीएफ उपचार अपनाना तो चाहते हैं लेकिन इसके खर्चे को लेकर डर जाते हैं और पीछे हट जाते हैं।

आईवीएफ का खर्चे को मुख्य रूप से दो तरह की लागत में बांटा जा सकता है

आईवीएफ प्रक्रिया का पहला भाग – डॉक्टर फीस और हॉस्पिटल का खर्च करीब 25,000 रूपए। आईवीएफ प्रक्रिया के पहले पड़ाव की फीस में कंसल्टेशन (परामर्श), निःसंतानता का कारण जानने के लिए पति-पत्नी दोनों की जांचे, अल्ट्रासाउंड, ओटी, भ्रूण विज्ञानी एवं गाइनेकॉलोजिस्ट,एम्ब्रियोलोजी लैब, मीडिया, वार्ड इत्यादि चार्जेज सम्मिलित होते हैं।

निःसंतानता से प्रभावित दम्पती पहले से भयभीत होते हैं इसलिए उनका परामर्श आवश्यक होता है। डॉक्टर के परामर्श के दौरान वे अपनी समस्या बताते हैं, अपनी पुरानी रिपोर्ट और पूर्व के उपचार के बारे में डिसकस करते हैं। डॉक्टर उनकी समस्या के अनुरूप कुछ जांचों के लिए कहते हैं ताकि समस्या के बारे में पता लगाकर उपचार शुरू किया जा सके। पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज के कई बार डॉक्टर से मिलता होता है ताकि प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर के बारे में जानकारी मिलती रहे।

आईवीएफ प्रक्रिया का दूसरा भाग – इंजेक्शन और दवाइयों का खर्च – प्रक्रिया की शुरूआत महिला के अण्डाशय में सामान्य से अधिक अंडे बनाने के लिए 10-12 दिन तक इंजेक्शन के साथ होती है। इस दौरान अंडों के विकास को जांचों के माध्यम से देखा जाता है। अण्डे बनने के बाद इन्हें मामूली शल्य प्रक्रिया द्वारा महिला के शरीर से निकाल कर संतुलित तापमान में लैब में रख दिया जाता है । बाद में पति से सीमन सेम्पल लेकर अण्डे को शुक्राणु से निषेचित किया जाता है और दो-तीन दिन बाद गर्भधारण के लिए महिला के गर्भाशय में स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

महिला कोे लगने वाले इंजेक्शन मुख्य रूप से तीन तरह के होते हैं जिनका वर्गीकरण इस प्रकार है: –

यूरिनरी की लागत करीब 20-25 हजार रुपये होती है । हाइली प्यूरीफाइड का खर्च 40-50 हजार रुपये होता है और रीकॉम्बीनेंट की लागत 80-90 हजार रुपये के करीब होती है। आमतौर पर आईवीएफ में अच्छी क्वालिटी के इंजेक्शन उपयोग किये जाते हैं । रीकॉम्बीनेंट इंजेक्शन अच्छे इंजेक्शन माने जाते हैं ये शरीर की जीन संरचना के अनुसार तैयार किये जाते है और इनमें अशुद्धि की संभावना बहुत ही कम रहती है, इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और बनने वाले अंडो की संख्या और क्वालिटी भी अच्छी होती है। इंजेक्शन के साथ आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान दवाइयों की जरूरत होती है।

कुल मिलाकर आईवीएफ प्रक्रिया के एक चक्र में करीब एक से डेढ़ रूपये खर्च होते हैं । कुछ साल पहले आईवीएफ का खर्च 2 से 5 लाख तक होता था इसमें समय के साथ काफी कमी आ गयी है। अब तो आईवीएफ उपचार का खर्च आसान ईएमआई मंे भी चुकाया जा सकता है। अब हर आय वर्ग के दम्पती आईवीएफ उपचार अपना करके संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं।

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